Monday, January 16, 2012

विरोध का लोकतांत्रिक तरीका

लोकतंत्र में विरोध जायज है और गलत का विरोध होना भी चाहिए लेकिन सही तरीके से | जिस तरह से हम लोग वेस्ट की नक़ल हर मामलो में करते है शायद विरोध का तरीका भी हम वही से अपना रहे है | जिस तरह से बुश पर इराक में जूता फेंका गया या फिर सरकोजी  पर हाथ चलाया गया कुछ ऐसा ही अब हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में भी हो रहा है जो की निंदनीय है | माना की राजनेताओं से यहाँ की अवाम खुश नहीं है और जनता के बीच नेताओ की छवि अच्छी नहीं है लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं की आप किसी को थप्पड़ मार दो या उसके ऊपर जूता फेंक दो या किसी और तरह से उसकी सार्वजनिक बेइजत्ती कर दो | लोकतंत्र में विरोध का तरीका भी लोकतान्त्रिक होना चाहिए | और अब समय आ गया है की इस पर ब्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जाये | इसका एक दूसरा पहलू ये है की कही न कही लोगो को लगता है की विरोध करने से कुछ हो नहीं रहा है इसलिए लोग मजबूर होके ऐसे तरीके अपनाते है |चाहे वो चिदंबरम का मामला हो ,शरद पवार का हो ,बाबा रामदेव,प्रशांत भूषण या फिर आज सोनिया गाँधी की तस्वीर पे स्याही फेकने का मामला हो,कुल मिलकर इससे भारत की छवि भी प्रभावित हो रही है | जाहिर सी बात है की ताली दोनों हाथो से बजती है इसलिए किसी एक पक्ष को दोष देना उचित नहीं होगा ,अतः बेहतर होगा की कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए की लोकतंत्र भी बना रहे और विरोध लोकतांत्रिक तरीके से हो जिसकी प्रासंगिकता बनी रहे..............जय हो.........................

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