लोकतंत्र में विरोध जायज है और गलत का विरोध होना भी चाहिए लेकिन सही तरीके से | जिस तरह से हम लोग वेस्ट की नक़ल हर मामलो में करते है शायद विरोध का तरीका भी हम वही से अपना रहे है | जिस तरह से बुश पर इराक में जूता फेंका गया या फिर सरकोजी पर हाथ चलाया गया कुछ ऐसा ही अब हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में भी हो रहा है जो की निंदनीय है | माना की राजनेताओं से यहाँ की अवाम खुश नहीं है और जनता के बीच नेताओ की छवि अच्छी नहीं है लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं की आप किसी को थप्पड़ मार दो या उसके ऊपर जूता फेंक दो या किसी और तरह से उसकी सार्वजनिक बेइजत्ती कर दो | लोकतंत्र में विरोध का तरीका भी लोकतान्त्रिक होना चाहिए | और अब समय आ गया है की इस पर ब्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जाये | इसका एक दूसरा पहलू ये है की कही न कही लोगो को लगता है की विरोध करने से कुछ हो नहीं रहा है इसलिए लोग मजबूर होके ऐसे तरीके अपनाते है |चाहे वो चिदंबरम का मामला हो ,शरद पवार का हो ,बाबा रामदेव,प्रशांत भूषण या फिर आज सोनिया गाँधी की तस्वीर पे स्याही फेकने का मामला हो,कुल मिलकर इससे भारत की छवि भी प्रभावित हो रही है | जाहिर सी बात है की ताली दोनों हाथो से बजती है इसलिए किसी एक पक्ष को दोष देना उचित नहीं होगा ,अतः बेहतर होगा की कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए की लोकतंत्र भी बना रहे और विरोध लोकतांत्रिक तरीके से हो जिसकी प्रासंगिकता बनी रहे..............जय हो.........................
Monday, January 16, 2012
Sunday, January 15, 2012
u.p.elections...........
उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव की रणभेरी बज उठी है | सभी दल और उनके प्रत्याशी किसी भी तरह से जीत हासिल करना चाहते है ,तरीका लोकतान्त्रिक हो या अलोकतांत्रिक कोई फर्क नहीं पड़ता है, आखिरकार जीत मायने रखती है |कोई मुस्लिमो को आरक्षण का लालच दे रहा है तो कही राज्य को पाच टुकडो में बांटा जा रहा है | अभी हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा है | राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिसन से जुड़े तीन अधिकारियो की ह्त्या ने न सिर्फ रूल ऑफ ला की धज्जिया उड़ा दी बल्कि फ़ैल चुके भ्रष्टाचार की भी पोल खोल दी | इसके कारण बी एस पी के कई मंत्रियो को अपना पद भी छोड़ना पड़ा,हद तो तब हो गयी जब चाल,चरित्र और चेहरा की बात करने वाले बी जे पी ने आरोपी मंत्री कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया,जाहिर सी बात है की इससे भारतीय जनता पार्टी की बहुत दुर्गति हुई और आखिरकार उसे कुशवाहा से किनारा करना ही पड़ा.पार्टियों में विचारधारा खत्म हो जाने का ये एक सशक्त उदाहरण था | खैर यही हाल सभी दलों का है,आज समाजवादी पार्टी ने कुख्यात डकैत ददुआ के लड़के को टिकट दे दिया तो कई माफिया भी इस बार माननीय बनने का प्रयास कर रहे है | अदम गोंडवी जी कुछ लाइनों का जिक्र बरबस ही आ रहा है तो सोचा की आपसे शेयर कर लिया जाये........
पक्के समाजवादी है, तस्कर हो या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में |
पक्के समाजवादी है, तस्कर हो या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में |
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