Wednesday, August 12, 2009

अर्ज किया है................


पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइए ,फिर जो निगाह-ए-यार कहे, मान जाइए- कतील शिफाई
कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है ,रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है - शकील बदायूंनी
ये आरजू ही रही कोई आरजू करते ,खुद अपनी आग में जलते जिगर लहू करते - हिमायत अली शायर
हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए रोते ,हैं वो गैर की बाहों में आराम से सोते हैं - हसरत जयपुरी
इस तरह सताया है, परेशान किया है,गोया कि मुहब्बत नहीं एहसान किया है - अफजल फिरदौस
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं ,बाजार में निकला हूं खरीदार नहीं हूं - अकबर इलाहाबादी
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी ,कुछ मुझे भी खराब होना था - मजाज
अपने ख्वाबों में तुझे जिसने भी देखा होगा ,आंख खुलते ही तुझे ढूंढ़ने निकला होगा - अब्बास दाना

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