Wednesday, August 12, 2009

अर्ज है................

ये शबे फिराक ये बेबसी, हैं कदम-कदम पे उदासियाँ,मेरा साथ कोई न दे सका, मेरी हसरतें हैं धुआं-धुआं - हसन रिजवी
हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया ,रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया - सैफुद्दीन सैफ
हर शम्आ बुझी रफ्ता रफ्ता ,हर ख्वाब लुटा धीरे - धीरे ,शीशा न सही पत्थर भी न था, दिल टूट गया धीरे - धीरे - कैसर उल जाफरी
ए मौत, उन्हें भुलाए जमाने गुजर गए, आजा कि जहर खाए जमाने गुजर गए - खुमार बाराबंकवी


एक रंगीन झिझक एक सादा पयाम ,कैसे भूलूं किसी का वो पहला सलाम - कैफी आजमी
मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले ,उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले - वसीम बरेलवी
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएं ,कैसे तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे - वसीम बरेलवी
शबाब आया किसी बुत पर फिदा होने का वक्त आया ,मेरी दुनिया में बंदे के खुदा होने का वक्त आया - हरीचंद अख्तर


साफ जाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं ,मुंह से कहते हुये ये बात मगर डरते हैं - अख्तर अंसारी


सोचा था कि तुम दूसरों जैसे नहीं होगे ,तुमने भी वही काम मेरी जान किया है - अफजल फिरदौस

एक टूटी हुई जंजीर की फरियाद हैं हम ,और दुनिया ये समझती है कि आजाद हैं हम - मेराज फैजाबादी
देख लो आज हमको जी भर ,के कोई आता नहीं है फिर मर के - मिर्जा शौक


किस-किस तरह से मुझ को न रुस्वा किया गया, गैरों का नाम मेरे लहू से लिखा गया - शहरयार
मैनोशी के आदाब से आगाह नहीं है तू, जिस तरह कहे साकी-ए-मैखाना पिए जा - अख्तर शीरानी
मैं नजर से पी रहा हूं, ये समां बदल न जाए ,न झुकाओ तुम निगाहें, कही रात ढल न जाए- अनवर मिर्जापुरी
पहलू से दिल को लेके वो कहते हैं नाज ,से क्या आएं घर में आप ही जब मेहरबां न हों - मौलाना मुहम्मद अली जौहर


तुम्हारी बेखुदी ने लाज रख ली वादाखाने की ,तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहां जाते - शकील बदायूंनी
कटी रात सारी मेरी मैकदे में,खुदा याद आया सवेरे-सवेरे - सैयद राही
ऐसे भी हैं दुनिया में जिन्हें गम नहीं होता, एक हम हैं हमारा गम कभी कम नहीं होता - रियाज खैराबादी
मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे ,मेरे साकी तू रहे आबाद मैखाना रहे - रियाज खैराबाडी

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