Thursday, August 13, 2009

नत कर दो मस्तक मेरा..................

नत करदो मस्तक मेरा अपनी चरण-धूल में,

अंहकार डूबा दो मेरा सारा अश्रूजल में।

करने स्वयं को गौरव-दान करता केवल निज अपमान,

बार बार चक्कर खा-खाकर मरता हूँ पल-पल में।

अंहकार डूबा दो मेरा सारा अश्रूजल में।

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