Wednesday, August 12, 2009

अर्ज किया है................



सितम हवा का अगर तेरे तन को रास नहीं, कहां से लाऊं वो झोंका जो मेरे पास नहीं - वजीर आगा
उम्र जलवों में बसर हो ये जरूरी तो नहीं, हर शब-ए-गम की सहर हो ये जरूरी तो नहीं - खामोश देहलवी
आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझ में, और फिर मानना पड़ता है कि खुदा है मुझ में - कृष्णबिहारी नूर
कल गए थे तुम जिसे बीमार-ए-हिजरां ,छोड़कर चल बसा वो आज सब हस्ती का सामां छोड़कर - इब्राहीम जौक

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