Sunday, March 9, 2008
विकास की कीमत
आज जबकि सारा जोर विकास पर दिया जा रहा है और ये माना जा रहा है की यदि देश की इकोनोमी का विकास होगा तो देश की जनता का भी विकास होगा। लेकिन विकास का जो दूसरा पहलू है वह है विस्थापन। विकास का विरोध करने वाले भी ये मानते है की विकास के लिए विस्थापन जरूरी है। लेकिन विस्थापन हमेशा गरीब ,पिछड़े और कमजोर लोगो का ही क्यों होता है? आख़िर क्यों ऐसे लोग ही विकास की कीमत चुकाते है जिन्हें इससे कुछ हासिल नही होता है उल्टे वो और हासिये पर चले जाते है। अगर उन्हें कुछ मिलता है तो वह अपनी जगह से हटने की पीड़ा। दरअसल भारत सहित दुनिया के कुछ देशो मे विकास की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है , वह दमन की नीति पर आधारित है। इसमे कुछ ख़ास लोगो को फायदा पहुचाने की कोशिश होती है। अगर विकास जनता के लिए किया जाना है तो उसमे जनता की भागीदारी होनी चाहिए । विकास जनता के लिए होना चाहिए न की जनता की कीमत पर.
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