Friday, February 29, 2008

जल प्रदूषण

सरकार एक तरफ़ तो विकास की बात कर रही है और और वही ख़ुद विनाश के वो सारे काम कर रही है जो धीरे _धीरे हमे विनाश की तरफ़ ले जा रहे है। माना की विकास की कीमत चुकानी पड़ती है लेकिन सिर्फ़ विनाश की कीमत पर विकास कहाँ की समझदारी है। अगर नदियों की बात करे तो आज हमारे देश की सारी नदिया प्रदूषित हो चुकी है और जिनकी सफ़ाई के नाम पर हजारो करोड़ रूपया नेताओ और अधिकारियों की भेट चढ़ चुका है , लेकिन नदिया और गन्दी हो गई । गंगा जिसे जीवनदायिनी माना जाता है उसका तो हाल सबसे बुरा है। लेकिन इसके लिए सिर्फ़ सरकार को दोष देना ग़लत होगा ,आख़िर एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा भी तो कुछ कर्तव्य है। आखिरकार ये हमारा भी तो देश है।